Fiber is beneficial for everyone: फाइबर सबके लिए फायदेमंद

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Fiber is beneficial for everyone: फाइबर सबके लिए फायदेमंद 

रेशेदार भोजन सबको अनेक रोगों में राहत देता है। कई प्रकार की परेशानियों से यह बचाता है। रेशेदार भोजन में भले ही पौष्टिक मान कम हो किंतु यह भोज्य पदार्थ में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज तत्व की भांति शरीर के लिए आवश्यक है। यह पाचन गतिविधि में मददगार तो है ही, साथ ही यह कई रोगों से हमें बचाता है। 

हमारे सभी खाद्य पदार्थ में न्यूनाधिक मात्रा में फाइबर रहता है किंतु तेल, घी आदि में यह बिलकुल भी नहीं होता।
खानपान में फाइबर का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह सभी साग-सब्जी, फल-फूल एवं अनाज में मौजूद है किंतु खान-पान की आधुनिक शैली के चलते यह नष्ट हो जाता है। 

हमारे दैनिक आहार में पालिश किए गए चावल, मैदे से बनी वस्तुओं, फलों का जूस एवं अधिक पकाई गई वस्तुओं की मात्रा बढ़ गई है। इनमें रेशे की मात्रा नहीं के बराबर रहती है जो सबके लिए परेशानी का कारण बन रहा है।

रेशेदार भोजन से लाभ।

  • यह पेट अर्थात सम्पूर्ण पाचन तंत्र की सफाई करता है।
  •  कब्ज, अपच, बदहजमी समाप्त करता है।
  • उच्च रक्तचाप को सामान्य करता है।
  • कोलेस्ट्राल की मात्रा को कंट्रोल करता है।
  • वजन घटाता है। मोटापा कम करता है।
  • बढ़े शूगर को कम करता है।
  • बवासीर नहीं होने देता।
  • पेट के कैंसर से बचाता है।
  • डायरिया से बचाता है।
  • शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता है।
अनाज – हाथ का कुटा या बिना पालिश चावल, साबुत गेहूं, दलिया, चोकर युक्त आटा, सूजी (रवा) मक्का, बाजरा, जौ, आदि।
दाल – अंकुरित सभी दालों के साथ साथ चना, काबुली चना, राजमा, मूंग उड़द, मसूर आदि साबुत अथवा इनकी छिलके युक्त दाल।
सब्जियाँ – मूली, गाजर, गोभी (गांठ, पत्ता, फूल) सभी सेम, मटर, कद्दू, लौेकी, पपीता, शलगम, चुकंदर, खीरा, ककड़ी, भिंड़ी परवल, सभी कंद (प्याज, आलू, शकर कंद, जिमीकंद, सूरन कंद आदि) सभी भाजियाँ टमाटर आदि।
फल – सेब, संतरा, मौसमी, पपीता, आम, केला, खजूर, नाशपाती, अनन्नास, आलू, अमरूद, अंगूर, अंजीर, बेर आदि। साबुत एवं छिलके युक्त फल में फाइबर रहता है। उनके जूस में नहीं रहता।
दैनिक आहार में हमें 25-30 ग्राम फाइबर पदार्थ की जरूरत रहती है। इसे अधिक मात्रा में लेने पर नुक्सान भी करता है।
  • इसकी अधिकता पेट में गैस बनाती है।
  • अधिकता से पेट दर्द की शिकायत हो सकती है।
  • खनिज तत्वों के पाचन को यह प्रभावित करता है।
  • पेट खराब कर सकता है।
  • आंतों में रूकावट डाल सकता है।
  • इसकी अधिकता वृद्धों को परेशान कर सकती है।
  • इसकी संतुलित मात्रा ही लाभ दिलाती है।
फाइबर घुलनशील एवं अघुलनशील दो प्रकार का होता है। जिस पदार्थ में रेशे की पर्याप्त मात्रा होती है उसे चबाकर खाना पड़ता है। चबा चबाकर खाने से मुंह से निकलने वाला लार तत्व पाचन में सहायक होता है। पेट भरा-भरा सा लगता है। भूख कम लगती है जिससे मोटापा व वजन नियंत्रित होता है।

यह पेट के सभी रोगों से बचाता है। रक्तचाप, शुगर, कोलेस्ट्राल, पेट का कैंसर, डायरिया ठीक करता है। रोगी, बच्चे व वृद्ध को दैनिक 25 से 30 ग्राम रेशेदार भोजन लेना चाहिए जबकि वयस्कों को 40 ग्राम रेशे वाला भोजन लेना चाहिए।
यह फल, फूल, सब्जी, सलाद, दाल, चावल, रोटी के माध्यम से मिल सकता है बशर्ते, चावल हाथ का कुटा या बिना पॉलिश का हो, गेहूं दरदरा हो, चोकर युक्त हो पर मैदा या रिफाइंड न हो। कोई भी भोज्य पदार्थ अत्यधिक पका, तला, या भुना न हो, सामान्य तापमान पर सामान्य पका हो, तभी फायदेमंद रहता है।

फाइबर शून्य पदार्थ सभी प्रकार के तेल व घी – केक, ब्रेड, पेस्ट्री, आलू, चिप्स, सूप, जूस, नूडल्स, पिज्जा, बर्गर, मिठाई, मैदा, पालिश किया चावल, चीनी, दूध, आइस्क्रीम, चाय, काफी, चाकलेट, बिस्किट आदि में फाइबर नहीं होता।

Note- सूप व जूस लेने से कुछ देर बाद भूख लगती है जबकि फल, सब्जी को साबुत रूप में खाने पर उसमें मौजूद फाइबर से पेट भरता है। भूख कम लगती है। पाचन तंत्र सुधरता है और कब्ज, कैंसर, रक्तचाप, शुगर, कोलेस्ट्राल, वजन, मोटापा, डायरिया, पानी की कमी आदि की स्थिति में लाभ मिलेगा।

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